चंद्रेश्वर महादेव - जहां चंद्रमा को मिली श्राप से मुक्ति
MYTHOLOGICAL
एक अद्भुत मंदिर की कथा
एक ऐसा मंदिर जिस के प्रांगण में खड़ा हुआ इंसान चिता से उठता हुआ धुआं देख सकता है जी हां दोस्तों यह बिल्कुल सच है भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर जो बना है श्मशान घाट के पास।
जिस मंदिर की कथा स्कंद पुराण में मौजूद है एक ऐसा मंदिर जहां किया था भोलेनाथ ने चंद्रमा को अपने शीश पर धारण क्या है इसके पीछे की कथा इस मंदिर का संबंध है चंद्रमा को मिले हुए श्राप से। अपने श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा ने की थी 10000 वर्ष तक तपस्या।
और इसी मंदिर में मिली थी चंद्रमा को अपने श्राप से मुक्ति
मंदिर का परिचय
आइए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर की रोचक और महान कथा के बारे में दोस्तों हम बात कर रहे हैं देवभूमि उत्तराखंड के एक बहुत ही सुंदर और पवित्र शहर ऋषिकेश में स्थित चंद्रेश्वर महादेव की
यह मंदिर चंद्रभागा में गंगा नदी के किनारे स्थित है
मंदिर की अद्भुत कथा
आइए जानते हैं इस मंदिर की अद्भुत कथा के बारे में
दोस्तों इस मंदिर का नाम चंद्रेश्वर महादेव इसलिए पड़ा क्योंकि चंद्रमा ने अपने श्राप से मुक्ति पाने के लिए 10000 वर्षों तक महादेव भोलेनाथ की उपासना यहां पर की थी।
दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियां
स्कंद पुराण में इस कथा का उल्लेख मिलता है दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ किया गया लेकिन चंद्रमा अत्यधिक प्रेम देवी रेवती से ही करते थे वह अपना अधिकांश समय उन्हीं के साथ बिताते जिससे कि उनकी बाकी पत्नियों की अवहेलना होती थी।
उनकी बाकी की पत्नियां चंद्रमा के इस व्यवहार की वजह से खुद को उपेक्षित महसूस करने लगी और उन्हें लगा कि उनका अपमान हो रहा है जिस वजह से वह चंद्रमा से रुष्ट हो गई और उन्होंने अपने पिता दक्ष प्रजापति से चंद्रमा की शिकायत कर दी
पुत्रियों की व्यथा
"पिता जी आपने हमारा विवाह चंद्रमा के साथ क्यों करवाया वह तो हमें प्रेम ही नहीं करते वह सिर्फ और सिर्फ बहन व्यक्ति को ही प्रेम करते हैं और उन्हीं के साथ रहते हैं हमें चंद्रमा के साथ नहीं रहना"
दक्ष प्रजापति का क्रोध
दक्ष प्रजापति यह सुनकर क्रोधित हो चुके थे वह चंद्रमा के पास जाकर कहते
"हे चंद्रमा तुमने मेरी पुत्रियों का अपमान किया है तुमने अपने धर्म का पालन नहीं किया यदि तुम्हारा विवाह इन सबके साथ हुआ था तो तुम्हें इन सभी का ध्यान भली-भांति रखना चाहिए था लेकिन तुम ऐसा करने में विफल हुए मेरी सभी पुतलियों को कष्ट पहुंचा है इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम एक को ही बन जाओगे जिस रूप पर तुम घमंड करते हो तुम्हारा अब तुम्हारे पास नहीं रहेगा"
चंद्रमा का भटकाव और तपस्या
दक्ष प्रजापति की वजह से चंद्रमा को दस्त हो गए और उनका समय बहुत ही मुश्किल भरा बीतने लगा काफी समय तक वो इसी तरह से भटकते रहे।
गंगा तट पर पहुंचना
चंद्रमा गंगा नदी के तट काका पहुंचे उन्हें आभार हुआ कि 80 मौसी भोलेनाथ उनकी सीधा दो सर सकते हैं।
चंद्रमा ने वही पर भोलेनाथ की आराधना शुरू की उन्होंने 10000 वर्षों तक भोलेनाथ की को तपस्या की।
भोलेनाथ का आशीर्वाद
आखिरकार भोलेनाथ उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए। भोलेनाथ ने दर्शन दिए और अपने आशीर्वाद से चंद्रमा का श्राप दूर हुआ और उन्होंने चंद्रमा को अपने शीश पर धारण किया।
और वहां पर वह चंद्रेश्वर महादेव के नाम से स्थापित हुए।
भोले भंडारी की महिमा
चंद्रेश्वर महादेव की महिमा हम अपने शब्दों में बखान नहीं कर सकते वह तो वैसे भी भोले भंडारी हैं जो भक्त सच्चे मन और श्रद्धा और प्रेम से उनके पास जाता है भोले भंडारी उसकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं।
मंदिर की अनोखी विशेषता
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर के साथ ही शमशान घाट बना हुआ है जहां से चिता का दुआ साफ नजर आता है जैसे कि भगवान मनुष्य को सिखा रहे हो कि जीवन में मोह माया के पीछे भाग कर कुछ हासिल नहीं होता।
जीवन का सत्य
एक ना एक दिन सबको यही आना है और इस दोहे में बदल जाना है अगर हम और मनुष्य इस बात का अर्थ समझ जाए की भोग विलास की वस्तुएं बस कुछ समय तक ही हमें सुख देती हैं असली सुख तो प्रभु के श्री चरणों में ही प्राप्त होता है।
मंदिर की स्थिति और महत्व
स्थान
राज्य: उत्तराखंड
शहर: ऋषिकेश
क्षेत्र: चंद्रभागा
नदी: गंगा नदी के किनारे
धार्मिक महत्व
स्कंद पुराण में उल्लेखित
चंद्रमा की 10000 वर्ष की तपस्या का स्थल
भोलेनाथ द्वारा चंद्रमा को शीश पर धारण करने का स्थान
श्राप मुक्ति का पवित्र स्थल
विशेष संदेश
यह मंदिर हमें सिखाता है कि:
सच्ची श्रद्धा और भक्ति से हर समस्या का समाधान संभव है
धैर्य और दृढ़ संकल्प से भगवान अवश्य प्रसन्न होते हैं
जीवन में मोह-माया से ऊपर उठकर प्रभु की शरण में जाना ही असली सुख है
श्मशान के पास मंदिर होना जीवन की नश्वरता की याद दिलाता है
कैसे पहुंचें
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर ऋषिकेश में स्थित है। ऋषिकेश पहुंचने के लिए:
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट
रेल मार्ग: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन
सड़क मार्ग: दिल्ली और अन्य शहरों से बस सेवाएं उपलब्ध हैं
निष्कर्ष
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह जीवन के गूढ़ सत्य को समझने का एक माध्यम है। यहां चंद्रमा की तपस्या और भोलेनाथ की कृपा की कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से कोई भी कठिनाई दूर हो सकती है।
मंदिर के साथ श्मशान घाट की उपस्थिति जीवन की नश्वरता का बोध कराती है और हमें याद दिलाती है कि असली सुख तो केवल भगवान की शरण में ही है।
हर हर महादेव! ओम नमः शिवाय!
यदि आप ऋषिकेश की यात्रा पर जाएं तो इस अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर के दर्शन अवश्य करें। यहां की दिव्य ऊर्जा और पवित्र वातावरण आपको अलौकिक अनुभव प्रदान करेगा।

