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लालच का कुआं: जब दुकानदार अपने ही जाल में फंसा

इंद्रपुर का लालची बनिया और उसकी बड़ी गलती

इंद्रपुर गांव में चमन लाल नाम का एक बनिया अपनी बेईमानी और लालच के लिए मशहूर था। उसकी बड़ी राशन की दुकान पूरे गांव में इकलौती थी, और लोग मजबूरी में उसी से सामान खरीदते थे। हालांकि, उसका यही लालच उसे ऐसी मुसीबत में डालने वाला था, जिसे वह कभी नहीं भूल पाएगा।


“आज तो खूब मुनाफा हुआ!” चमन लाल की लालच भरी हंसी

चमन लाल अपनी दुकान पर सामान बेचते समय हमेशा कुछ न कुछ गड़बड़ी करता। कभी सामान में मिलावट तो कभी कम तौल देता।

नितेश (ग्राहक): “राम-राम चमन लाल! मुझे एक किलो चावल देना।”
चमन लाल: “जी हां, क्यों नहीं!”
चमन लाल ने अपने नौकर रामू को चावल तौलने को कहा और नितेश को चावल दे दिए।

उसने मन ही मन सोचा,
चमन लाल: “अगर यही चलता रहा, तो मैं जल्द ही सबसे अमीर बन जाऊंगा।”


गांव में बीमारी का कहर: क्या राशन था वजह?

कुछ दिनों बाद गांव में अजीब घटनाएं होने लगीं। लोग पेट की गंभीर बीमारियों से परेशान हो रहे थे।

विमला (डॉक्टर से): “डॉक्टर साहब, मेरी बेटी को उल्टियां हो रही हैं। कुछ समझ नहीं आ रहा।”
डॉक्टर ने खाने का हिसाब पूछा, तो विमला ने बताया कि वह चमन लाल की दुकान से राशन खरीदती हैं।

डॉक्टर: “हो सकता है कि राशन में गड़बड़ी हो। गांव के कई लोग बीमार हो रहे हैं। इसका कारण पता लगाना होगा।”


गांववालों का चमन लाल से सामना: सच छिपा रहा था?

अगले दिन गांववाले डॉक्टर के साथ चमन लाल की दुकान पर पहुंचे।
गांववाले (गुस्से में): “क्या बेचा है तूने? तेरा राशन खाने से सबकी तबीयत खराब हो रही है।”
चमन लाल ने जवाब दिया,
चमन लाल: “ऐसा नहीं हो सकता! मेरा राशन जमींदार के घर भी गया था, और वहां कोई बीमार नहीं हुआ।”

गांववालों को कोई ठोस सबूत नहीं मिला, और वे वहां से लौट गए।


जुगनू का जन्मदिन: चमन लाल की सच्चाई उजागर हुई

अगले दिन चमन लाल के बेटे जुगनू का जन्मदिन था। घर में पकवान बने। जैसे ही जुगनू ने बेसन का लड्डू खाया, उसकी तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टर ने बताया,
डॉक्टर: “जुगनू की हालत मिलावटी राशन खाने से खराब हुई है। जल्द इलाज न किया, तो हालत और बिगड़ सकती है।”

यह सुनते ही चमन लाल को याद आया कि उसने राशन को दो हिस्सों में बांटा था—गांववालों के लिए मिलावटी और अपने परिवार के लिए शुद्ध। लेकिन नौकर की गलती से घर में मिलावटी राशन पहुंच गया।


“जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है…”

अपनी गलती का एहसास होते ही चमन लाल ने गांववालों से माफी मांगी। उसने मिलावटी राशन को नष्ट किया और कसम खाई कि वह अब ईमानदारी से काम करेगा।

चमन लाल (गांववालों से): “मुझे माफ कर दीजिए। मैं अब कभी किसी के साथ धोखा नहीं करूंगा।”
गांववालों ने उसे माफ कर दिया, लेकिन इस घटना ने उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी।


सीख: ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है

यह कहानी हमें सिखाती है कि बेईमानी और लालच का अंत हमेशा बुरा होता है। दूसरों को धोखा देने वाला व्यक्ति खुद भी उस जाल में फंस जाता है।

क्या चमन लाल को माफ करना सही था? आप इस कहानी से क्या सीखते हैं? हमें कमेंट में बताएं।

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