रात के लगभग 11 बजे थे। विशाल और नेहा बाइक से एक सुनसान जंगल के रास्ते से गुजर रहे थे। चारों तरफ घना अंधेरा और सन्नाटा था, बस पेड़ों की सरसराहट और कभी-कभी किसी जानवर की आवाज़ आ रही थी। हवा में एक अजीब सी ठंडक थी, मानो कोई अदृश्य ताकत उनके आसपास घूम रही हो।
डरावनी कहानी का खौफनाक सफर
नेहा (डरते हुए): “विशाल, हमें इस रास्ते से नहीं जाना चाहिए था। यह जंगल बहुत डरावना लग रहा है।”
विशाल (हंसते हुए): “अरे नेहा, डरने की कोई बात नहीं है। हम बस शॉर्टकट ले रहे हैं, जल्दी घर पहुँच जाएँगे।”
जंगल और भी गहरा और भयानक होता जा रहा था। अचानक, नेहा को लगा कि किसी ने उसका नाम पुकारा।
नेहा (घबराकर): “विशाल, तुमने सुना? किसी ने मेरा नाम लिया!”
विशाल: “अरे, कुछ नहीं नेहा। यह तुम्हारा भ्रम होगा। हवा चल रही है, शायद उसी की आवाज हो।”
लेकिन नेहा को बार-बार वही आवाज़ सुनाई देने लगी।
आवाज़: “नेहाआआ…! नेहाआआ…!”
नेहा का चेहरा पीला पड़ गया। उसकी धड़कन तेज़ हो गई। वह बाइक से उतर गई और इधर-उधर देखने लगी। विशाल ने बाइक रोक दी।
विशाल: “नेहा, क्या कर रही हो? चलो यहाँ से।”
नेहा: “नहीं विशाल, मुझे कुछ महसूस हो रहा है। जैसे कोई हमें देख रहा हो… कोई हमारे बहुत करीब हो।”
तभी झाड़ियों से एक साया निकलकर उनके सामने आ गया। वह एक बूढ़ी औरत थी, जिसकी आँखें लाल थीं और चेहरा विकृत था।
बूढ़ी औरत (भयावह आवाज़ में): “भाग जाओ यहाँ से… वरना बहुत देर हो जाएगी…!”

भूतिया जंगल में एक डरावनी रात
विशाल ने डरकर बाइक स्टार्ट की और नेहा को बैठने को कहा। लेकिन नेहा जैसे किसी ट्रांस में आ गई थी। उसकी आँखें अजीब तरह से चमकने लगीं।
विशाल (घबराकर): “नेहा, जल्दी बैठो! यहाँ से निकलना होगा।”
लेकिन नेहा की बॉडी अकड़ गई, उसका सिर धीरे-धीरे ऊपर उठने लगा और उसकी आँखों का रंग बदल गया – सफेद! उसके होंठ फड़फड़ाने लगे, मानो कुछ कहना चाह रही हो।
नेहा (एक अजीब आवाज़ में): “तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकते, विशाल…! तुमने मुझसे धोखा किया था… अब मैं तुम्हें छोड़ूँगी नहीं…!”
विशाल काँप उठा।
विशाल (डरकर): “नेहा, तुम ये क्या कह रही हो? मैंने क्या किया?”
नेहा (भयंकर हँसी के साथ): “तुम भूल गए? आज से तीन साल पहले तुम इसी जंगल में किसी और लड़की को लेकर आए थे… और उसे यहाँ छोड़कर भाग गए थे… अब वो लड़की मैं ही हूँ…! मैंने बदला लेने के लिए तुम्हारी नेहा के शरीर को अपना बना लिया है…!”
विशाल की साँसें अटक गईं। उसे याद आया – हाँ, उसने तीन साल पहले अपनी एक्स-गर्लफ्रेंड रिया को इसी जंगल में छोड़ दिया था। वह यहाँ से भाग गया था, लेकिन रिया वापस नहीं आ पाई थी।

डर और सस्पेंस से भरी कहानी
विशाल (रोते हुए): “मुझे माफ कर दो, रिया! मैंने बहुत बड़ी गलती की थी। मुझे नहीं पता था कि तुम… तुम…!”
नेहा (रिया की आत्मा के रूप में): “अब बहुत देर हो चुकी है, विशाल… अब तुम भी यही रहोगे… मेरे साथ… हमेशा के लिए…!”
इतना कहते ही नेहा का शरीर हवा में ऊपर उठ गया, और उसका चेहरा पूरी तरह से विकृत हो गया। उसके नाखून लंबे और नुकीले हो गए। विशाल चीखता हुआ भागने लगा, लेकिन तभी कुछ अदृश्य ताकत ने उसे पकड़ लिया और अंधेरे में खींच लिया।
सुबह जब लोग जंगल के पास से गुजरे, तो वहाँ विशाल की बाइक पड़ी थी… लेकिन विशाल और नेहा का कोई नामो-निशान नहीं था। बस एक पेड़ के तने पर खून से लिखा था – “कोई भी विश्वासघात करे, तो उसका यही हश्र होगा!”
और तभी हवा में एक भयावह हँसी गूँज उठी…
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