कोटा के खूबसूरत घर में एक अनजाना एहसास
साल भर बाद, कोटा शहर के शांत सुबह के माहौल में हलचल शुरू हो चुकी थी। धारणा, जो कानून की दुनिया में अपना नाम बना रही थी, अभी भी गहरी नींद में थी। बाहर से आती उसकी मां की आवाज ने उस सन्नाटे को तोड़ा।

सुनीता (प्यार भरी आवाज में): “धारणा! उठ जाओ बेटा। देखो, कितना टाइम हो गया है। तुम्हें अभी कोर्ट जाना है।”
धारणा ने करवट बदली, उसकी आंखों में हल्की नींद और चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान थी। लेकिन जैसे ही उसने आंखें खोलीं, उसे लगा कि आज का दिन कुछ अलग है।
धारणा का प्रोफेशनल लुक और एक अनजानी बेचैनी
तैयार होकर, जब धारणा ने सफेद साड़ी और काले लॉयर कोट में खुद को आईने में देखा, तो उसकी आंखों में आत्मविश्वास के साथ एक अनजानी बेचैनी भी झलक रही थी।
धारणा (खुद से): “आज का केस अलग है। यह सिर्फ कानून की लड़ाई नहीं, बल्कि मेरी जिंदगी बदलने वाला दिन है।”
उसकी मां ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए कहा:
सुनीता: “तुम वाकई किसी फिल्म की हीरोइन लग रही हो। लेकिन बेटा, यह प्रोफेशन खतरनाक है। क्या तुमने सोचा है कि यह तुम्हें कहां ले जाएगा?”
एक रहस्यमय केस और एक पुराने प्यार की वापसी
धारणा ने कोर्ट की ओर जाते हुए अपनी कार में रेडियो चालू किया। गाने की धुन उसे अचानक अतीत में ले गई। राहुल, उसका पहला प्यार। वह लड़का, जिसने उसे सिखाया था कि प्यार सिर्फ एहसास नहीं, बल्कि हिम्मत और समर्पण का नाम है।

धारणा (खुद से): “क्या राहुल भी अब तक मुझे याद करता होगा? वह कहां होगा? क्या हमारी राहें फिर कभी मिलेंगी?”
लेकिन उसकी सोच को एक कॉल ने तोड़ दिया। यह कॉल उसके नए क्लाइंट, अर्जुन मल्होत्रा, का था। अर्जुन, एक तेज-तर्रार बिजनेसमैन, जो अपने केस के लिए धारणा पर पूरी तरह निर्भर था।
अर्जुन (गंभीर स्वर में): “मिस धारणा, आज का केस सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि कई लोगों के लिए न्याय की उम्मीद है। लेकिन सावधान रहें, यह केस आसान नहीं है। दुश्मन किसी भी हद तक जा सकते हैं।”
कोर्ट में संघर्ष और अर्जुन से बढ़ती नज़दीकियां
कोर्ट में अर्जुन की आंखें बार-बार धारणा पर टिक जाती थीं। उसकी गंभीरता के पीछे एक नरम कोना था, जो सिर्फ धारणा के लिए धड़क रहा था।
अर्जुन (हल्की मुस्कान के साथ): “आपके तर्कों में जुनून है, और आपकी आंखों में आग। ऐसा लगता है, आप सिर्फ केस नहीं, बल्कि इंसाफ के लिए जीती हैं।”
धारणा ने उसकी बात का जवाब तो नहीं दिया, लेकिन उसकी धड़कनें तेज हो गईं। अर्जुन की गहरी आंखें और उसकी गंभीर बातें, उसे राहुल की याद दिला रही थीं।
रात की मुलाकात और रहस्य का पर्दा
केस की चर्चा के बहाने अर्जुन ने धारणा को रात के खाने के लिए बुलाया। रेस्तरां की धीमी रौशनी में, दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगीं।

अर्जुन (धीमी आवाज में): “आपके साथ बिताए ये पल मुझे याद दिलाते हैं कि ज़िंदगी में कुछ चीजें केस से बड़ी होती हैं। क्या आप भी ऐसा महसूस करती हैं?”
धारणा चुप रही। उसकी आंखों में प्यार, अतीत और पेशे की जंग, सब एक साथ उमड़ रहे थे। लेकिन तभी एक धमकी भरा मैसेज उसके फोन पर आया:
अनजान व्यक्ति: “अगर तुमने यह केस लड़ा, तो अंजाम बुरा होगा।”
प्यार और साज़िश का खेल
अर्जुन ने मैसेज देखा और गंभीर हो गया।
अर्जुन: “मैं तुम्हें किसी भी खतरे में नहीं डाल सकता। मैं यह केस वापस ले लूंगा।”
लेकिन धारणा ने उसे रोकते हुए कहा:
धारणा: “नहीं अर्जुन, यह सिर्फ आपका केस नहीं, बल्कि मेरा सपना है। और किसी डर से मैं अपने कदम पीछे नहीं खींच सकती।”
अगली सुबह का नया मोड़
जैसे ही धारणा कोर्ट पहुंची, उसे एक अनजानी साज़िश का सामना करना पड़ा। क्या यह अर्जुन का दुश्मन था, या राहुल का अतीत अब उसकी जिंदगी में वापस आ रहा था?
क्या धारणा और अर्जुन के बीच पनपता यह प्यार किसी साज़िश का शिकार होगा?
क्या राहुल की वापसी इस कहानी को नया मोड़ देगी?
या धारणा अपनी जिंदगी और प्यार के बीच संतुलन बना पाएगी?
जानने के लिए जुड़े रहें, जहां प्यार और संघर्ष की यह कहानी हर मोड़ पर आपको चौंकाएगी।